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स्वतंत्रता दिवस    अन्ततः, 15 अगस्त का ऐतिहासिक दिन आ ही पहुँचा। भारत में अंग्रेजों के 150 वर्ष के शासन का यह अन्तिम दिवस था और 35 करोड़ भारतीयों के लिए यह स्वतन्त्रता का प्रथम दिन था। उस दिन लोग हर्ष उन्मत हो गए; सड़कों पर असंख्य लोगों की भीड़ जमा हो गई, कोई रोक-टोक नहीं रही। वायसराय और मंत्रियों के जुलूस में भी रुकावटें आईं। असेम्बली हाल के चारों ओर भारी जनसमूह एकत्रित हो गया। लोग भारत और नेताओं की जय बोल रहे थे। यह अभूतपूर्व हलचल, आवेश, उत्तेजना, आवेग और प्रमोद का रोमांचकारी शानदार दृश्य था। कैम्पबेल जानसन ने इस कार्यक्रम का आँखों देखा वर्णन इस प्रकार किया है:- सारे उत्सव की योजना इस धारणा के आधार पर की गई थी कि लगभग तीन हजार लोगों की उपस्थिति होगी परन्तुसंयोजकों के दुर्भाग्य सेलगभग तीन लाख जनता उमड़ आई। हम लोग हर्षोल्लासपूर्ण ध्वनि से घिरे हुए थे। भीड़ नेसब कुर्सियों पर कब्जा कर लिया था। लोग कुर्सियों की पीठ पर, बाजुओं...

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