Page 14 - Mann Ki Baat Hindi
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        गणणत तयो ऐसा विषय ह णजसे िकर हम    और नबस की बात करते ह, तयो लमलियन,
        भारत्रीयों  कयो  सबसे  ज़ादा  सहज  हयोना   वबलियन और ठट्लियन तक बयोिते और
                                े
                                                 ैं
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        चाठहए।  आखखर,  गणणत  कयो  िकर  रूर्री   सयोचते  ह,  िवकन,  िेदों  में  और  भारत्रीय
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        दुलनया  क  लिए  सबसे  ज़ादा  शयोध  और   गणणत में ये गणना बहुत आगे तक जात्री
        ययोगदान  भारत  क  ियोगों  ने  ह्री  तयो  ददया   ह।  हमारे  यहाूँ  एक  बहुत  रुराना  श्योक
                                            ै
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        ह। शून्, यान्री, ज़्रीरयो की खयोज और उसक   प्चलित ह –
                                                  ै
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        महत्व क बारे में आरने खूब सुना भ्री हयोगा।
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                                           एक  दशं  शतं  चैव,  िहस्रम्  अयुतं  तथया।
        अक्सर आर ये भ्री सुनते होंगे वक अगर
                                              ं
                                           लक् च सियुतं चैव, कोटि: अरबुदम् एव च।|
                                                                 ु
        ज़्रीरयो  की  खयोज  न  हयोत्री,  तयो  शायद  हम,
                                           वृन् खववो सिखवबु: च, शंख: पद्म: च ियागर:।
                                              ं
        दुलनया की इतन्री िैज्ालनक प्गवत भ्री न
                                           अन्त मध् परयार: च, दश वृद्ध्या यथया क्रमम्।|
                                               ं
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                                                  ं
        दख राते। किकिस से िकर कप्टस्प
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                                           इस श्योक में सख्ाओां का ऑिर बताया
                                                                   ्प
        तक – ये सारे िैज्ालनक आविष्ार ज़्रीरयो
                                           गया ह। जैसे वक –
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        रर ह्री तयो आधाठरत ह। भारत क गणणतज्ों
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        और विद्ानों ने यहा तक लिखा ह वक –     एक, दि, िौ, हज़यार और अयुत !
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                                            लयाख, सियुत और कोटि ययािी करोड़।
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              यत कक ं चचत वस् तत िववं,
                गणितेि करिया िटह!          इस्री  तरह  ये  सांख्ा  जात्री  ह  –  शख,  रद्म
                                                               ै
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                                           और सागर तक। एक सागर का अथ 10 की
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        अथात, इस रूरे ब्हाि में जयो कछ भ्री ह,  ै
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                                           रािर 57 हयोता ह। यह्री नहीं इसक आगे भ्री,
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        ियो  सब  कछ  गणणत  रर  ह्री  आधाठरत  ह।
                                           ओघ और महयोघ जैस्री सांख्ाए हयोत्री ह। एक
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        आर  विज्ान  की  रढ़ाई  कयो  याद  कठरए,
                                                                   े
                                           महयोघ हयोता ह – 10 की रािर 62 क बराबर,
                                                    ै
        तयो  इसका  मतिब  आरकयो  समझ  आ
        जाएगा।  विज्ान  का  हर  वप्िंणसरि  एक
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        मैथेमठटकि  फाम्पिा  में  ह्री  तयो  वक्त
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        वकया  जाता  ह।  न्टन  क  िॉज़  हों,
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        आइ्टाइन का फमस इक्शन, ब्हाि
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                                     ां
        से  जुड़ा  सारा  विज्ान  एक  गणणत  ह्री  तयो
        ह।  अब  तयो  िैज्ालनक  भ्री  थ्योर्री  ऑफ
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        एिर्रीलथिंग  की  चचा  करते  ह,  यान्री,  एक
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        ऐसा णसिंगि फाम्पिा णजससे ब्हाि की
        हर  च्रीज़  कयो  अलभवक्त  वकया  जा  सक।
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        गणणत  क  सहारे  िैज्ालनक  समझ  क
        इतने विस्ार की कल्पना हमारे ऋवषयों
        ने हमेशा से की ह। हमने अगर शन् का
                                 ू
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        अविष्ार वकया, तयो साथ ह्री अनत, यान्री,
                                ां
        इनदफलनट  कयो  भ्री  एक्सप्ेस  वकया  ह।
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                                 ां
        सामान् बयोि-चाि में जब हम सख्ाओां         आय्यभट्ट : ‘शून्य’ क खोजकिा ्य
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