Page 9 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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बेिद ख़ास बात ये ि वक कल्पिा को कछ
                                                         ै
                                                                       ु
                                                    े
                                           समय  पिि  तक  कन्नड़  भारा  िी  ििीं
                                                             न्स
                                           आती थी। उन्ोंिे ि रसफ तीि मिीिे में
                                           कन्नड़  भारा  सीखी,  बक्कि,  92  िम्र
                                           भी िाकर फदखाए। आपको यि जािकर
                                                                        ै
                                            ै
                                                             े
                                           िरािी  िो  रिी  िोगी,  िवकि  ये  सच  ि।
                                           उिक  बारे  में  और  भी  कई  बातें  ऐसी  ि  ैं
                                              े
                                                                      े
                                           जो  आपको  िराि  भी  करेगी  और  प्रणा
                                                     ै
                                           भी  दगी।  कल्पिा,  मूि  रूप  से  उत्तराखंड
                                               ें
                                            े
                                                                  ैं
                                           क  जोशीमठ  कती  रििे  िािी  ि।  िे  पिि  े
                                           रीबी से पीहड़त रिी थीं और जब िे तीसरी
                                                               ूँ
                                           कक्ा में थीं तभी उिकती आखों कती रोशिी
                                                                   ैं
                                           भी चिी गई थी, िवकि किते ि ि ‘जिा  ूँ
                                                         े
                                                  ूँ
                                           चाि-ििा राि’। कल्पिा बाद में मैसूरू कती
                                                                        न्स
                                                                  े
                                                      े
         ै
        ि।  अिग-अिग  क्त्ों  में  अिग-अिग   रििे िािी प्ोफसर तारामूवतसि क सम्पक
                       े
                                                             न्स
                                                                 ें
        पििािा,  खािपाि  और  संकिवत,  यि   में आई, रजन्ोंिे ि रसफ उन् प्ोत्साहित
                                ृ
                      ै
        िमारी  पिचाि  ि।  यि  डायिरससिरी,  यि   वकया बक्कि िर तरि से उिकती मदद भी
                                                                        े
        विविधता, एक राष्ट् क रूप में िमें अक्धक   कती। आज, िो अपिी मेिित से िम सबक
                        े
                                                                ैं
        सशक्  करती  ि,  और  एकजुर  रखती  ि।   निए एक उदािरण बि गई ि। मैं, कल्पिा
                    ै
                                      ै
                                                                        ूँ
                                                          े
                                                       े
                                                                     े
                                                  े
        इसी से जुड़ा एक बेिद प्रक उदािरण ि  ै  को उिक िौसि क निए बधाई दता ह।
                           े
                                                        े
        एक बेरी कल्पिा का, रजसे मैं आप सभी   इसी तरि, िमारे दश में कई ऐसे िोग भी
         े
        क  साथ  साझा  करिा  चािता  ह।  उिका   ि जो दश कती भाराई विविधता को मज़बूत
                                            ैं
                                ूँ
                                                े
                                                               ैं
                                                             े
                       े
                     ै
        िाम  कल्पिा  ि,  िवकि  उिका  प्यास   करिे  का  काम  कर  रि  ि।  ऐसे  िी  एक
                                                                        े
                  े
                                                 ैं
        ‘एक भारत श्ष्ठ भारत’ कती सच्ी भाििा   साथी  ि,  पनचिम  बंगाि  में  पुरुनिया  क
                  ै
        से भरा हुआ ि। दरअसि, कल्पिा िे िाि   श्ीपवत र ू डूजी। र ू डूजी, पुरुनिया कती रसद्धो-
        िी में किान्सरक में अपिी 10िीं कती परीक्ा   कािू-वबरसा यूनििरससिरी में संथािी भारा
                ै
                   े
        पास कती ि, िवकि उिकती सफिता कती    क प्ोफसर ि। उन्ोंिे, संथािी समाज क
                                                                        े
                                            े
                                                े
                                                     ैं
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