Page 47 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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          प्रोफ़िर श्ीपतत र गु डू : ओल तचकी सलब्प में िब्वधयान कया अनवयाद
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        भारत क िपवधान करो दुलनया क िबिे
        पवस्त िपवधानों में िे एक माना िाता
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        ह। प्ररोफ़िर श्ीपपत ट ु ड ू  ने िंथाली िमुदाय
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        क  लरोगों  करो  उनकी  ही  अपनी  भारा  में
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        अनुवाददत िपवधान भेंट पकया। दूरदश्टन
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        टीम  क  िाथ  बातिीत  में  श्ीपपत  ट ु ड ू
        अपनी इि पहल क बारे में बताते हैं।
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        पुरुनिया,  पनचिम  बंगाि  में  कायन्सरत
        संथािी  भारा  क  प्ोफसर  श्ीपवत  र ु डू  िे
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        मिसूस  वकया  वक  भारतीय  भाराओं  में
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        विविधता  क  कारण,  बहुत  से  िोगों  तक
                                                             ु
                                           मातृभारा, संथािी में अििाद करिे का
        संविधाि पहुच ििीं पा रिा ि, उन्ोंिे इसे
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                                           विचार मेरे मि में आया। जब मैंिे भारत
        अपिी मातृभारा संथािी कती ओि क्चकती
                                            े
                                           क संविधाि का संथािी संकिरण पूरा
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        निवप में अििाद करिे का फसिा वकया
                                           कर फदया, तो मैंिे उसे संथािी समुदाय
        और 'एक भारत श्ष्ठ भारत' कायन्सरिम का
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                                           को उपिार कती तरि फदया तावक िे उस
        हिस्ा बिे।
                                           मिाि  राष्ट्  क  बारे  में  पढ़  और  समझ
                                                     े
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        श्ीपवत र ु डू किते ि, “मैंिे किि संविधाि   सक  रजसे  िे  अपिा  घर  किते  ि  और
                     े
        और  इस  तर्  क  बारे  में  सुिा  था  वक   भारत  क  प्वत  अपिे  अक्धकारों  और
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                                                   े
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        िमारा  दश  इसक  माध्म  से  चिता  ि।   कत्तन्सव्ों  क  बारे  में  अिगत  िो  सक।
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                                                       े
        िवकि तब मुझे इसे पढ़िे का मौका ििीं   आज  मुझे  यि  दखकर  खुशी  िो  रिी  ि  ै
                                                          े
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        नमिा। बड़ िोकर, जब मुझे इसे पढ़िे का   वक िोग संविधाि क संथािी संकिरण
        अिसर नमिा, तो मैंिे मिसूस वकया वक   कती तिाश कर रि ि और इसे पढ़ रि  े
                                                           ैं
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        प्त्क  भारतीय  क  निए  संविधाि  को   ि।  यि  दखकर  खुशी  िोती  ि  वक  मेरा
                                                                ै
        पढ़िा  और  समझिा  बहुत  मित्वपूणन्स  ि।   काम जिता तक पहुच रिा ि और अपिे
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        उस  पि  भारत  क  संविधाि  को  अपिी   उद्श्य को पूरा कर रिा ि।"
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