Page 50 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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तीथ-िेवया
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स्वच्छता और अध्ात्म
ममत्रो, यहां मजिनरी जरूररी स्वच्छता कती अिधारणा भारतीय परम्परा
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िरीथयात्ा ह; उिनरी हरी महत्वपण ्ट और सकिवत का अनभन्न अंग ि।
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‘िरीथ-सिा’ ह। मैं यह भरी कहगा प्ाचीितम् रसंधु घारी सभ्यता कती जि
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क्क क्िना ‘िरीथ-सिा’ क, िरीरथ निकासी व्िस्ा से पता चिता ि वक
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अधूरा रहिा ह। हम जहां भरी जाए, शक्चता और स्वच्छता भारतीय सभ्यता
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अपने िरीथस्थलों की गररमा िनाए कती आधाररशिा ि। सभ्यता कती प्गवत
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रखें। शुद्धिा, स्वच्छिा और पक्ित् क साथ-साथ स्वच्छता प्त्क परम्परा,
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िािािरण... हमें यह सि नहीं पवित् ग्थों और साकिवतक अभ्यासों का
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भूलना चारहए और उसक थलए, यह कद्रीय अंग बि गई। उदािरण क निए,
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जरूररी ह क्क हम स्वच्छिा क प्रति भगिद्ीता में ‘शौचम’ और ‘स्वच्छता’
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संकल्प करें। को मित्वपण धम मािा गया ि। जाहिर
ि, भारतीय उपमिाद्ीप क सभी पंथों म ें
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– प्रधानमंत्री नरेन्द् मरोदरी शक्चता और स्वच्छता का आधारभूत
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(‘मन की िाि’ क सम्रोधन म) स्ाि रिा ि और िमारे पवित् ग्थ
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आमजि को स्वच्छ जीिि एिं स्वच्छ
विचार अपिािे को प्ेहरत करते रि ि।
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िम सब मिात्मा गांधी क उस प्रसद्ध
कथि से पहरक्चत ि - ‘स्वच्छता ईश्रत्व
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“ ‘मि कती बात’ सम्ोधि क निकर िाती ि’। इसका अथ ि–
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में मेरा रज़रि करिे क निए स्वच्छ रििा आध्ास्त्मक पहरशुद्धता
मैं प्धािमंत्ी िरेन्द् मोदी या भिाई का प्तीक ि। स्वच्छता का
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को धन्यिाद दती ह। जैसा अध्ात्म से अर ू र संबंध ि। चवक अपि े
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वक उन्ोंिे किा, उत्तराखंड आप को आध्ास्त्मक प्वरिया का अंश
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को स्वच्छ और शुद्ध रखिा बिािे क निए सिन्सप्थम बाह् और
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स्ािीय िोगों कती िी ििीं आंतहरक पहरशुद्धता ज़रूरी ि, इसीनिए
बक्कि श्द्धािुओं कती भी िमें उपासिा स्ि सबसे अक्धक स्वच्छ
रज़ म्दारी ि।” िज़र आते ि। ैं
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- चम्ा दिरी इि फदिों उत्तराखंड में ‘चार-धाम’ कती
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दिार गाूँि कती स्वच्छता तीथ यात्ा चि रिी ि। प्वतफदि दश भर
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कायकता न्स से िज़ारों श्द्धािु दशन्सिों क निए जाते ि।
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फदव् हिमािय में यि तीथ यात्ा श्द्धािुओं
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