Page 62 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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2020 और 2021 क िॉकडाउि क धम और आस्ाओं से बंधा ििीं ि, ि
दौराि विश् भर में िचअि सत् हुए िी यि संतों, नभक्ओं और आध्ास्त्मक
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रजिमें औसति और भी ज़ादा िोगों गुरुओं का आश्य ि। यि िरेक व्क्क्
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िे भाग निया। आयिद और योग म ें क निए सिभ ि। इसे अपिािे में बहुत
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फदिचपिी इसनिए भी बढ़ गई क्ोंवक समय भी ििीं िगता और इसे सामान्य-
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मिामारी िे िोगों क मि में अकिापि, जीििचया में अपिाया जा सकता ि।
इससे शारीहरक शक्क्, संतिि, शरीर
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बेचिी, अनिनचितता, डर और तिाि बढ़ा
कती िोच और गवतशीिता, मािरसक
फदए। रोग-प्वतरोधक क्मता, आरोग्य,
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समभाि, आंतहरक शावत, ध्ाि कब्न्द्त
शक्क् और प्वतरोध क साथ-साथ
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करिे कती क्मता और चेतिा को बि
भाििात्मक तथा मिोिैज्ानिक स्तर
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नमिता ि। योग आंतहरक बदिाि क
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पर संतिि, दुख-सुख में समभाि और
जहरए स्वास्थ् में सुधार िाता ि और
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सकारात्मकता बढ़ािे कती प्बि इच्छा
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खराब जीििशिी से जुड़ रोगों से मुक्क्
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पैदा हुई। इि पहरस्स्वतयों में िोग बड़ी
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फदिाता ि। इसक साथ िी, यि सोचि े
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संख्ा में योग और आयिद कती तरफ
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और जीिे का ऐसा तरीका ि रजसका
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आकवरसित हुए तावक उिकती समस्ाओं
माििीय और भौवतक संपकषों क सभी
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का समग् और हरकाऊ समाधाि िो
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पक्ों पर प्भाि पड़ता ि। विश् भर में,
सके ।
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ख़ास तौर से यिाओं में, योग का रजस
योग भारत कती सभ्यता और आध्ास्त्मक तरि तीव्रता से प्चार-प्सार िो रिा ि, ै
धरोिर में निहित ि िवकि इसे अपिाकर ििी इसक िाभों और मित्व का सशक्
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विश् िे यि फदखाया वक योग वकसी एक प्माण ि।
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