Page 63 - Mann Ki Baat - Hindi May 2022
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योग : जीवन की एक शैली
                         योग ियाधकों की लोगों िे अपील

        माननरीय प्रधानमंत्रीजरी क संकल्प क िहि, यरोग, जरो क्क मन और शररीर करो एक करने
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        की साधना ह, अि क्िश्व करो एक कर रहा ह। दूरदश्टन की ररीम ने यरोग गुरुओं और छात्ों क
        साथ िािचरीि कर क्िश्व में यरोग की िढ़िरी लरोकक्प्रयिा पर उनक क्िचार जाने।
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                                                                   े
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        “योग  किि  शारीहरक  व्ायाम  ििीं   “िम  अंतरराष्ट्ीय  योग  फदिस  क  आठिें
                                                                     ैं
        ि,  बक्कि  यि  दुनिया  भर  में  भारतीय   संकिरण का जश्न मिािे जा रि ि और
         ै
                                                                    े
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        सकिवत का संदशिािक ि। अंतरराष्ट्ीय   मैं सभी से अपीि करता ह वक योग को
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                                                               ूँ
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        योग  फदिस  क  8िें  सकिरण  का  विरय   रसफ एक फदि क निए ि अपिाए, बक्कि
                         ं
                                              न्स
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        'माििता क निए योग' ि, यि भारत कती   इसे  जीिि  का  एक  तरीका  बिाए।  योग
                                 ै
        विरासत को पहरभावरत करता ि। जीिि    का अभ्यास करें, योगी बिें, उपयोगी बिें,
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        क माग क रूप में योग, मािि जावत क   सियोगी बिें, और निरोगी बिें, और इस
              न्स
        निए  और  विश्  शावत  क  निए  एकमात्   अंतरराष्ट्ीय  योग  फदिस  को  एक  भव्
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        रास्ता ि।”                         सफिता बिाए।”
           – यरोग गुरु आचाय्ट क्िष् शंकर ममश्ा    – यरोग गुरु आचाय्ट प्रतिष्ठा जरी
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        “िमारे  माििीय  प्धािमंत्ी,  श्ी  िरेन्द्
        मोदी जी िे ‘मि कती बात’ में योग कती बात
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        कती ि। यि िोगों में जागरूकता पैदा करेगी
        और  योग  को  सिी  मायिे  में  बढ़ािा  भी
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                 े
        दगी। योग क एक छात् क रूप में, मैं योग
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        को ि किि एक आसि क रूप में बक्कि
              े
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        जीिि जीिे कती एक किा क रूप में भी
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        बढ़ािा दिा चािता ह।”
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                          – आशरीष यादि,
               छात्-किल्धाम यरोग संस्थान
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        “आज  क  युिा  रजस  तरि  का  तिािपूणन्स
                   ैं
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        जीिि जीते ि, योग इसक निए रामबाण
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        ि। मैं चािता ह वक आज क  युिा योग को
        ठीक उसी तरि सीखें और समझें जैसे योग
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        का एक छात् करता ि।”
                          – श्री आयुष आय्ट,
                छात्-किल्धाम यरोग संस्थान
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